Lucknow में केशव ने ठोकी ताल Delhi में नहीं गली दाल
Lucknow में केशव ने ठोकी ताल Delhi में नहीं गली दाल
जिस गली में आजकल रहता हूँ – वहाँ एक आसमान भी है लेकिन दिखाई नहीं देता। उस गली में पेड़ भी नहीं हैं, न ही पेड़ लगाने की गुंजाइश ही है। मकान
गलियों में चकराता रहा । अब एक ऐसी गली में दोनों घुसे जिसमें चिराग़ न बत्ती - कार्पोरेशनवाले अंधे हैं - दुग्गड़ ने कहा
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गली दिसावर सट्टा रिजल्ट गली गली आबाद थी जिन से कहाँ गए वो लोग संपूर्ण ग़ज़ल अज्ञात की ऑडियो के साथ रेख़्ता पर
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